रविवार, 23 फ़रवरी 2014

श्री कृष्ण भगवान की एक कहानी

भगवान  कृष्ण प्रतिदिन यज्ञ किया करते थे । एक बार भगवान कृष्ण यज्ञ कर रहे थे । यज्ञ करने के बाद वह यज्ञ वेदी के पास बैठे हुए थे और यह विचार रहे थे कि इस यज्ञ का क्या प्रभाव पड़ा है । इतने में  ही रुक्मिणी उन के पास आयीं और बोलीं, "हे देव ! इस यज्ञ वेदी के सामने आप क्या कर रहे हो ?" भगवान कृष्ण ने उत्तर दिया, "हे देवी ! मैं यह सोच रहा हूँ कि इस यज्ञ ने वायुमंडल पर क्या प्रभाव डाला है? मैं सोच रहा हूँ कि उन तरंगों का जो यज्ञ  से बनी हैं वे कहाँ प्रभाव डालती हैं? मैं इस बारे में  अनुसन्धान कर रहा हूँ । " रुक्मिणी ने फिर प्रश्न किया, "हे देव ! क्या मेरे हृदय से जो तरंगें निकल रही हैं उसका भी आपको ज्ञान है ?" भगवान कृष्ण ने उत्तर दिया ,"हे देवी! वह समय भी आयेगा परन्तु इस समय मैं यह अनुसन्धान कर रहा हूँ और इसको मैं रोकना नहीं चाहता।  यज्ञ संसार का सर्व श्रेष्ठ कर्म है । यज्ञ ऋषियों और मुनियों की खोज है। यह जानना आवश्यक है कि यह वातावरण पर क्या प्रभाव डालता है और इस की तरंगें कहाँ पर जाती हैं? यह वह कर्म है जिसके द्वारा हम परमात्मा तक पहुँच सकते हैं और यह हमें मुक्ति तक ले जाता है। इसीलिए मैं इस कर्म में व्यस्त हूँ ।" रुक्मिणी इस बात से बहुत प्रभावित हुईं और उनहोंने भी भगवान कृष्ण के साथ साथ प्रतिदिन यज्ञ करना प्रारम्भ कर दिया । 

भवानंद आर्य

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