शनिवार, 31 दिसंबर 2011

काले धन का पूरा सच 5

ग. भारत में रहकर जो लोग विदेशों में अपने खातों का सञ्चालन करते हैं. उनका टेक्नीकल इन्वेस्टीगेशन करके अर्थात इंटरनेशनल इन्फोर्मेशन Gateways पर सर्विलेंश (जाँच) के उपकरण लगाकर पता लगाया जा सकता है.
घ. मोरीशस रूट से देश में आया लगभग ५० लाख करोड़ रूपया इन्हीं भ्रष्ट लोगों का ही है. इसकी पूरी जाँच करके मोरीशस रूट से आये धन को भी राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने की ज़रूरत है. 
ड़. देश में जमा काले धन को वापस लेन व अन अकान्टेड मनी पर रोक लगाने के भी बहुत से उपाय हैं- जैसे बड़े नोट वापस लेना तथा जिनके पास हजारों करोड़ रुपये के बड़े नोट हैं उनका धन स्वतः सरकार के पास आ जायेगा तथा जिन लोगों के पास १ लाख से १० लाख रुपये हैं या जिनकी जितनी नौकरी या मेहनत की कमाई है उनको बैंकों से छोटे नोट मिल जायेंगे. इस विषय में विस्तार से चर्चा की जा सकती है. तथा भारत स्वाभिमान की दूसरी प्रचार सामग्री में इसकी विस्तार से चर्चा भी की गयी है. भारत में जिन भ्रष्ट लोगों ने सोना व ज़मीन आदि अन्य कामों में काले धन का निवेश किया हुआ है यदि सरकार चाहे तो इसका आसानी से पता लगा सकती है. बैंकों आदि के लोकर्स से सोना तथा तहसीलों पर निष्पक्ष जाँच करके भ्रष्ट लोगों के पास जो अवैध भूमि, भवन इत्यादि हैं इस सब का पता लगाया जा सकता है.
च. काले धन का पता लगाने के लिए भ्रष्टाचार में लिप्त रहे व्यक्ति का नार्को टेस्ट भी करवाया जा सकता है. यह अंतिम विकल्प के रूप में बहुत ही कारगर सिद्ध होगा.
7. विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने का तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल व अन्य कठोर कानून बनाने के साथ ही ग़लत कानूनों, नीतियों व इस भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने का लोक तांत्रिक शासन प्रणाली में एक मात्र अधिकार किसके पास है? - चुनी हुई केंद्र सरकार या संसद के पास और संसद में सांसद चुनकर भेजने का एक मात्र अधिकार देश की जनता के पास है. अतः इस बार ऐसे सांसद चुन कर भेजो, ऐसी सरकार केंद्र में बनाओ जो काला धन देश को दिलवाए, भ्रष्टाचार मिटाए व भ्रष्ट व्यवस्थाओं को बदले.


आपका 
अनुभव शर्मा 

गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

काले धन का पूरा सच 4

जिस दिन भारत से भ्रष्टाचार ख़त्म हो जाएगा तथा देश का लूटा हुआ धन वापस मिल जाएगा उस दिन भारत की अर्थव्यवस्था व मुद्रा इतनी मजबूत होगी कि १ रुपये की कीमत ५० डॉलर के बराबर होगी तथा भारत विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति होगा. आज भी भ्रष्ट व्यवस्था एवं भ्रष्टाचार के बावजूद दुनियां के अन्य देशों की तुलना में भारत पर बाहर के देशों का लिया गया ०.२३७ ट्री लियन डॉलर (१०.६६ लाख करोड़ रुपये) तथा आतंरिक ऋण मात्र ०.८५५ ट्री लियन डॉलर (३८.४८ लाख करोड़ रुपये) है. भारत के बाद भरष्टाचार व काले धन की अर्थ व्यवस्था मिटाने का अभियान अन्य एशिया के देशों में भी चलेगा तथा भारत व एशिया का उत्थान होगा तथा हम यूरोप व अमेरिका से भी आगे बढ़ जायेंगे.

इस प्रकार विदेशी ऋण के रूप में लिया गया अधिकांश धन यह काला धन ही है. सभी देशों को आज धन चाहिए, जब अपने देश के ही विकास के लिए धन की सभी देशों को जरूरत है, फिर विदेशी ऋण के रूप में कोई क्यों किसी दूसरे देश को ऋण के रूप में पैसा देगा? काला धन जिस देश का है यदि उस देश को मिल जाये तो भारत सहित दुनियां में कोई भी देश गरीब नहीं रहेगा. काला धन व भ्रष्टाचार यही पूरी दुनिया की सबसे बड़ी दो समस्याएँ हैं.

४. भारत का यह काला धन कहाँ जमा है? - स्वीटज़रलैंड, दुबई, इटली, बहामास, सेंटकिट्स, विर्जिन आई लैंड व सिंगापूर आदि ७० से ज्यादा देश हैं, जहाँ ये काला धन जमा है.
५. विदेशों में ये देश का धन कैसे जाता है? -बैंकों की गोपनीयता का लाभ उठाकर हवाला, ओवर इन्वोइसिन्ग करके तथा भ्रष्टाचारी व्यक्ति खुद स्वीटज़रलैंड आदि जाकर वहां जमा कराते हैं. अब तो भारत में केंद्र सरकार ने स्वीटज़रलैंड व इटली आदि के बैंकों को भारत में खाता खोलने के लिए लाईसेंस दे दिया है. जो काला धन जमा करते हैं. जिससे की बेईमान लोगों को देश का लूटा हुआ धन विदेशी बैंकों में जमा करने में कोई परेशानी न हो.
६. यह कैसे पता चलेगा की किसका कितना कालाधन किस देश में जमा है तथा यह कैसे वापस आयेगा?-
क. सरकार एक कानून बनाकर सभी भारतीयों से सात दिन या एक सुनिश्चित अवधि के अन्दर अपने विदेशी बैंकों में जमा धन या अन्य संपत्ति का पूर्ण विवरण प्रस्तुत करने को कहे उपरोक्त अवधि में जिनका विवरण प्रस्तुत न हो उनका धन या संपत्ति विदेशी बैंकों में पाई जाने पर उसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया जाये व जिसने उसे जमा करवाया उसे राष्ट्र द्रोह का अपराधी घोषित करे. इसके पश्चात ही सभी टैक्स हैवन देशों से भारतीयों के जमा धन का विवरण उपलब्ध हो सकेगा. क्योंकि वह राष्ट्रीय संपत्ति है. और राष्ट्र द्रोह करके जमा की गयी है. और U .N.C .A .C . की अंतर राष्ट्रीय संधि के अनुसार सभी देशों को यह जानकारी भारत को उपलब्ध करानी ही होगी. यदि विदेशों में जमा काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित नहीं किया गया और इसे कृत्य को राष्ट्र द्रोह का अपराध नहीं माना  तो काले धन का विवरण टैक्स हैवेन देश कभी देंगे ही नहीं. क्योंकि स्वीटज़रलैंड आदि टैक्स हैवेन देश कर चोरी को संज्ञेय अपराध नहीं मानते और जब तक जिस कृत्य को दोनों देशों में ग़ैर क़ानूनी न माना गया हो तब तक दूसरे देश हमारी मदद करने को बाध्य नहीं हैं. राष्ट्र द्रोह को दुनियां के सभी देश सामान रूप से संज्ञेय अपराध मानते हैं. काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करके तथा विदेशों में काला धन जमा करने को राष्ट्र द्रोह का अपराध घोषित करके विदेशों में काला धन जमा करने के खिलाफ राष्ट्र द्रोह का कानून बना करके इन भ्रष्ट लोगों पर राष्ट्र द्रोह का मुकदमा दायर किया जाये. ताकि अंतर राष्ट्रीय संधियों व क़ानूनी प्रावधानों (युनाइटेड नेशंस कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन) के तहत जब भारत स्वीटज़रलैंड सहित सभी टैक्स हैवेन देशों से काले धन की जानकारी मांगेगा तो इनको जानकारी देनी ही पड़ेगी. और यह काला धन देश में वापस आयेगा.

ख. जिन देशों में ये काला धन जमा है उन सभी देशों के दूतावास भारत में हैं. जब भी ये भ्रष्ट लोग उन देशों में जाते हैं तो जाने से पहले उन देशों का उन्हीं दूतावास से वीजा लेते हैं. इसके साथ-साथ भारत सर्कार के भी इमिग्रेशन विभाग को पता होता है कि कौन व्यक्ति किस देश में जा रहा है तथा कहाँ से जा कर आया है. ये पूरा विवरण सरकार के पास है. इस पर तुरंत कार्यवाही कर के सरकार पता लगा सकती है कि काला धन जमा करने वाले कौन लोग हैं? कुछ लोग स्वीटज़रलैंड व अन्य टैक्स हैवेन देशों में घूमने, नौकरी करने व अपने रिश्ते दरों के पास भी जा सकते हैं लेकिन कुछ बड़े नेता, बड़े अधिकारी तथा बड़े व्यापारी बार बार वहां पर जाते हैं. इसका मतलब वे ही बेईमान हैं. और बार बार पैसा जमा करवाने के लिए ही जाते हैं.

काले धन का पूरा सच 3

सोचने की बात यह है कि ये देश दुनियां के सबसे संपन्न देश माने  जाते हैं. और ये ही महाकर्ज में डूबे हैं. और ये कर्ज का पैसा थोडा नहीं है. तो आखिर इन्हें यह कर्ज दे कोंन रहा है? जबकि विश्व के सभी देश भी कर्ज में ही डूबे हुए हैं. तो क्या ये असीम कर्ज का पैसा चाँद या मंगल से आया है? दुनिया के शीर्ष अर्थ शास्त्रियों व संस्थाओं की बात मानें तो ये कर्ज का पैसा काले धन का ही है. और पूरी दुनिया में जितना भी कला धन है उसमें आधा तो भारत का ही है. एक और मजे की बात यह है के इनमें शीर्ष १० देश भी तीन महीने में लगभग ११५ लाख करोड़ रुपये ओर कर्ज ले लेते हैं. यूरो एरिया भी तीन महीने में ५७ लाख करोड़ से अधिक का कर्ज ले लेटा है. दूसरे अन्य देशों का भी कर्ज हर महीने बढ़ ही रहा है. आखिर ये पैसा आ कहाँ से रहा है? क्या आसमान से टपक रहा है? इसकी गहराई में जाने से यह पता चलता है कि हमारे देश के किसान, मजदूर, माध्यम वर्ग के व्यापारी, शिक्षक, सैनिकों आदि ने जो पैसा मेहनत करके कमाया ओर टेक्स के रूप में सरकार को दिया उसी हमारी खून पसीने की कमाई को इन भ्रष्टाचारियों ने लूटकर विदेशों में भेज दिया. ओर इसी कारन हमारे देश का ८४ करोड़ लोगों का एक बड़ा वर्ग गरीबी रेखा के निचे जीवन यापन करने को मजबूर है. भूखे , फटे हाल, बेघर व बेसहारा इन लोगों के बच्चों की तो ओर  भी दयनीय स्थिती है. पर आश्चर्य की बात यह है कि हमारी मेहनत की कमाई से विदेशी लोग अय्याशी कर रहे हैं. ओर हमारे ऊपर ही शासन कर रहे हैं. यह बात प्रत्येक भारत वासी को बड़ी गंभीरता से सोचनी होगी कि आखिर ये सभी अमीर देश इतना कर्ज कहाँ से ला रहे हैं? कहीं ये हमारे खून पसीने की गाढ़ी कमाई का पैसा तो नहीं? और यदि है तो इसको वापस कैसे लाया जाये? या यूँ ही अन्याय को सहन कर बच्चों सहित भूखे मर जाएँ?

उपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट है कि विश्व के १५ देशों ने २०११ के पहले तीन महीने की अवधि में १२४ लाख करोड़ का नया विदेशी कर्ज लिया है. इस प्रकार ये देश एक वर्ष की अवधि में लगभग ५०० लाख करोड़ का नया विदेशी कर्ज ले लेते हैं.  विश्व के शीर्ष अर्थशास्त्री भी इस तथ्य को प्रमाणित करते हैं कि अमेरिका जैसे विकसित देशों द्वारा लिया गया विदेशी कर्ज वास्तव में भारत जैसे प्राकृतिक संसाधन संपन्न देशों का ही धन है. जो काले धन के रूप में विदेशी कर्ज के तौर पर देश से बाहर चला गया है. विदेशी ऋण के रूप में देश से बाहर गया यह काला धन स्थायी रूप से किसी एक देश में नहीं ठहरता बल्कि अगले नए देश में गतिशील रहता है. भारत का स्विटज़रलैंड के बैंकों में जमा काला धन अब दुबई, सिंगापुर व मोरिशस आदि देशों में जा रहा है. यह भी कम रोचक बात नहीं है कि कुल मिलकर विश्व के सभी देशों की जी0 डी0 पी0 (सकल घरेलु उत्पाद) का जितना आकार है लगभग उतना ही विश्व के सभी देशों पर विदेशी ऋण है. वर्तमान में विश्व के सभी देशों की जी0 डी0 पी० लगभग ६२ ट्रीलियोन डॉलर की हैं. जबकि विश्व के सभी देशों पर कुल मिलाकर लगभग इतना ही बहरी या विदेशी ऋण है.

इस प्रकार लगभग इस ३ हजार लाख करोड़ रुपये में से भारत का ४०० लाख करोड़ से अधिक काला धन तथा देश की आतंरिक व्यवस्था में भी लगभग १०० लाख करोड़ रुपये काला धन विद्यमान है. इससे बड़ी दुखद घटना, आश्चर्य, अन्याय और क्या होगा? की भारत व एशिया के अन्य देशों के काले धन से यूरोप के देश विकास व विलासिता करें तथा भारत व एशिया के लोग भूखे मरें. यह कितनी शर्म, आश्चर्य व अन्याय पूर्ण बात है. यह पाप तुरंत बंद होना चाहिए. भारत में ग़रीबी के कारण भूख व कुपोषण से मरने वालों की संख्या 'ग्लोबल हंटर रिपोर्ट' के अनुसार १ मिनट में १३, एक घंटे में ८८३ तथा एक दिन में २० हज़ार है.

आपका
अनुभव शर्मा

बुधवार, 28 दिसंबर 2011

काले धन का पूरा सच 2

काले धन को विदेशी ऋण के रूप में जिन देशों ने लिया हुआ है उनमें कुछ देशों के नाम इस प्रकार हैं-
नोट- दुर्भाग्य से हम जिसे काला धन कहते हैं , वहीँ काला धन स्विटज़रलैंड आदि ७० टैक्स हैवन्स देशों के बैंकों में जमा हो जाता है. और अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस व इटली आदि में वह काला धन एक्सटर्नल डेट अथवा फ़ोरेन इन्वेस्टमेंट के रूप में पहुंच जाता है. तथा भारत में भी वहीँ काला धन जब मोरीशस रूट से आता है तो वहीँ अनैतिक रूप से अर्जित धन अपने  देश में भी फ़ोरेन इन्वेस्टमेंट के रूप में वापस आ रहा है.
 उदाहरण के रूप में अमेरिका यूरोप आदि के कुछ देशों पर ऋण की स्थिति इस प्रकार है-

विश्व के सबसे अधिक     २०१० की अंतिम तिमाही में      २०११ ...                             इन देशो द्वारा तीन माह में
विदेशी कर्ज में दुबे देश     विदेशी कर्ज की स्थिति                                                    लिया गया विदेशी कर्ज
                                                    मिलियन डॉलर   लाख करोड़ रुपये    मिलियन डॉलर लाख करोड़ रूपये   मिलियन डॉलर लाख करोड़ रुपये
१. अमेरिका                     १४४५६१९४    ६५०.५२          १४८२५३०८  ६६७.१४          ३६९११४       १६.६१
२. इंग्लैंड                         ८५६१७५६     ३८५.२८           ९३७४८६८   ४२१ .८७         ८१३११२       ३६.५९
३. जर्मनी                         ५२०८०३९     २३४ .३६           ५४४२०८२  २४४.८९          २३४०४३      १०.५३
४. फ्रांस                            ५०९१२६०     २२९.११              ५३६६८३९   २४१.५१          २७५५७९     १२.४०
५. जापान                        २५८८६०७    ११६.४९              २६४०९३६    ११८.८४          ५२३२९         २.३५
६. इटली                           २४२७९४१    १०९.२६              २६०१७२२    ११७.०८          १७३७८१       ७.८२
७. होल्लैंड                        २४२६९४१     १०९.१२              २५४७१८६   ११४.६२          १२०२४५        ५.४१
8. स्पेन                            २३१४८५४    १०४.१७             २४५६४०३   ११०.५४         १४१५४९         ६.३७
9. आयरलैंड                     २१४१०९५      ९६.३५              २३८२१८७    १०७.२०         २४१०९२         १०.८५
१०. लग्ज़म्बर्ग                  १९५४७२९    ८७.९६               २०७६५३५   ९३.४४          १२१८०६           ५.४८
इन दस देशों का कुल         ४७१७१४१६   २१२२.७१         ४९७१४०६६   २२३७.१३      २३६८८६९        ११४.४२ 
११. बेल्जियम                   १२९२०६८       ५८.१४            १३२४६६६      ५९.६१           ३२५९८            १.४७
१२. स्वित्ज़रलैंड               १२९१४७१       ५८.१२            १३०४३७८      ५८.७०         १२९०७              .५८
१३. ऑस्ट्रेलिया                 ११६७२७२      ५२.५३           १२२५५९५     ५५.१५         ५८३२३           २.६२
१४. कनाडा                       १०९७३३४       ४९.८३           ११५०००९        ५१.७५         ५२६७५          २.३७
१५. स्वीडन                      ९४४२९२         ४२.४९           १०००९६१         ४५.०४         ५६६६९            २.५५
इन १५ देशों का कुल         ५२९६३८५३    २३८३.३७      ५५७१९६७५   २५०७.३९     २५८२०४१   १२४.०१ 
१६. यूरो एरिया                 १३७१५१४०       ६१७.१८        १४९८९०४९       ६७४.५१     १२७३९०९     ५७.३३


इंग्लैंड ने पिछले एक वर्ष से अपने कर्ज का ब्यौरा देना बंद कर दिया है (शायद बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण)  अतः २००९ की पहली तिमाही के आंकड़े दिए गए है. इसमें दूसरी तिमाही के आंकड़े छापे नहीं गए है (स्पेस कम होने के कारण). एवं यूरो एरिया (१७ देशों का समूह) की भी यहीं स्थिति है. अतः इनके २०१० की दूसरी व तीसरी तिमाही के आंकड़े यहाँ दिए गए हैं.

आपका
अनुभव शर्मा 

सोमवार, 26 दिसंबर 2011

काले धन का पूरा सच

आखिर काले धन व भ्रष्टाचार के खिलाफ इस आन्दोलन से सरकार इतनी क्यों दर गयी? क्यों लोक तंत्र की हत्या की गयी? आपके सामने प्रमाणिक तौर पर रखते हैं इस काले धन का पूरा सच|

१. काला धन क्या है? - अवैध खनन करके, सरकारी योजनाओं के धन की चोरी करके, रिश्वत खोरी व टैक्स की चोरी करके जो धन देश में या विदेश में जमा किया गया है वह काला धन है| काला धन हमारी राष्ट्रीय संपत्ति है. इस पर १२१ करोड़ भारतीयों का हक है. अपने देश में ८९ प्रकार की लगभग २० हज़ार करोड़ रुपये की तो मात्र भूसम्पदायें ही हैं. इनमें से कई सो लाख करोड़ का कोयला, लोहा, गैस, पेट्रोल व हीरा आदि तथा इसी प्रकार अन्य राष्ट्रीय संपदाओं भूमि, भूसंपदा, २ जी०, ३ जी० आदि वैज्ञानिक संपदाओं, जंगल, जड़ी, बूटी आदि सब कुछ धरती, आकाश व पाताल आदि की सभी संपदाओं को कुछ भ्रष्ट व बेईमान लोगों ने बेच दिया है. और इस लूटे हुए देश के धन को देश में तथा विदेश में जमा कर दिया. इस धन पर इन बेईमानों का कोई अधिकार नहीं है. यह देश का धन है. 

२. यह काला धन कितना है? - ग्लोबल फाईनैन्शियल   इंटेग्रिटी (जी0 आई0 ऍफ़०), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई0 एम्0 ऍफ़०), vishva बैंक (वर्ल्ड बैंक), टैक्स जस्टिस नेटवर्क तथा ट्रांस पेरेंसी इंटर नेशनल आदि सभी विश्व की   आर्थिक संस्थाओं के अध्ययन, विश्व के प्रमुख अर्थ शास्त्रियों का अनुमान तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा छापी गयी मुद्रा (नोट) आदि बातें, इस बात का पक्का प्रमाण हैं की भारत का लगभग ४०० लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा काला धन है. इसमें लगभग ७५ प्रतिशत विदेशी बैंकों स्विट ज़रलैंड, मोरीशस, इटली, दुबई, सिंगापुर व लग्ज़म्बर्ग आदि में जमा है तथा लगभग २५ प्रतिशत काला धन देश में ही ज़मीन, सोना एवं अन्य कार्यों में लगा है.

३. विदेशों में जमा काला धन किसका  है तथा इसका उपयोग कौन कर रहे हैं? - सबसे अधिक काला धन कुछ भ्रष्ट नेताओं तथा इसके बाद कुछ भ्रष्ट अधिकारियों तथा कुछ बेईमान बड़े उद्योगपतियों के पास ये काला धन है. विदेशी बैंकों में जमा इस काले धन का विदेशी ऋण  के रूप में विश्व के बड़े देश उपयोग करके विकास कर रहे हैं. तथा विलासिता कर रहे हैं. तथा भारत व अन्य देश इस भ्रष्टाचार व काले धन के कारण गरीबी, भूख, अभाव व अपमान में जी रहे हैं. 

आपका
अनुभव शर्मा

एक मंत्र 2

ॐ जिम्ह्श्ये चरितवे मघोन्या भोगये इष्टये राये उ त्वं.
दभ्रं पश्यद भ्य उर्विया विचक्ष उषा अजीगर्भुव्नानी विश्वा..

जो लोग रात्रि के चतुर्थ प्रहर उठकर शयन पर्यंत समय को व्यर्थ नहीं खोते वो सुखों को प्राप्त होते हैं अन्य नहीं.


आपका 
अनुभव शर्मा 

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

एक मंत्र

ॐ स नो बन्धुर्जनिता स विधाता धामानि वेद भुवनानि विश्वा.
यत्र देवा अमृत मानशानास्त्रितीये धामन्न ध्यै रयंत..

जो परमात्मा अपने भ्राता के समान सुखदायक अपने समस्त कार्यों का पूर्ण करने वाला समस्त नाम स्थान व जन्मों को जानता है जिस मोक्ष स्वरुप परमात्मा में मोक्ष को प्राप्त हो के विद्वान् लोग स्वेच्छा पूर्वक विचरते हैं वह परमात्मा अपना न्याय धीश, गुरु व राजा है. ऐसे परमात्मा की शुभ कर्मों के द्वारा भक्ति अर्थात उसकी आज्ञा पालन में हम लोक सदैव तत्पर रहें.

आपका
अनुभव शर्मा 
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