रविवार, 9 अगस्त 2015

सदुपदेश

तीन प्रकार की वाणियां होती हैं जो कि कुतर्क से खंडन करने योग्य नहीं हैं।

इड़ा- स्तुति, प्रशंसा करने वाली
मही - पठन  पाठन की प्रेरणा देने वाली
सरस्वती -  ज्ञान, विज्ञान प्रकट करने वाली


चार प्रकार की वाणियां होती हैं जिनके द्वारा अपने विचार कहे जाते हैं।

बैखरी - इस वाणी में हम लोग उपदेश व वार्तालाप
मध्यमा -
पश्यन्ती - समाधि अवस्था में इस वाणी का प्रयोग होता है।
परा


बुधवार, 22 जुलाई 2015

कल्प और महाकल्प

काल गणना 


कलयुग      - ४,३२,००० वर्ष 
द्वापर  युग   -   कलयुग का दुगना 
त्रेता युग     - कलयुग का तिगुना 
सतयुग      - कलयुग का चौगुना 


चतुर्युगी     - कलयुग+द्वापर+त्रेता+सतयुग    - ४३,२०,००० वर्ष

एक सृष्टि काल    = १००० चतुर्युगी 
एक सृष्टि काल    =   १४ मन्वन्तर
एक मन्वन्तर    = ७१ चतुर्युगी 


इस समय १,९६,०८,५३,११६ वां वर्ष चल रहा है 
सूर्य को बने हुवे १,९७,२९,४९,११६ वर्ष हो गए 
७ वें मन्वन्तर का २८ वां कलयुग चल रहा है


एक सृष्टि काल + एक प्रलय काल = एक कल्प  या ब्रह्मा का दिवस या ब्रह्मदिवस = २००० चतुर्युगी 


३६५ ब्रह्मदिवस =  ब्रह्म वर्ष 
१०० ब्रह्म वर्ष    = ब्रह्म (मुक्त जीवात्मा) की शतायु  या महाकल्प  या परान्त काल या मुक्ति काल
free counters

फ़ॉलोअर