रविवार, 29 मई 2016

सुविचार भाग 3

१. निम्न श्रेणी के लोगों के द्वारा विघ्नों के भय से कार्य आरम्भ नहीं किया जाता।  मध्यम श्रेणी के लोग कार्य आरम्भ करके विघ्नों द्वारा विरोध होने पर रुक जाता है।  जो उत्तम श्रेणी के लोग हैं वे विघ्नों के द्वारा बार - बार बाधा डाले जाने पर काम को बिना पूरा किये नहीं छोड़ते।  - भर्तृहरि 
जिस कार्य को भी करो पूर्णता से करो।  ब्रह्मचारी कृष्ण दत्त (पूर्व श्रृंगी ऋषि )

२. शरीर तीन प्रकार के होते हैं -
१. स्थूल २. सूक्ष्म ३. कारण 
१. यह २४ तत्वों से मिल कर बना  है - पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, पांच कर्मेन्द्रियां, दस प्राण, मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार।  
२. पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, पञ्च तन्मात्राएँ (अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी व आकाश की), पांच प्राण, मन व बुद्धि। (१७)
३. मन व प्राण।  (२)


३. रूद्र कहते हैं जो रुलाने वाला है अर्थात प्राण। 
प्राण  दस होते हैं - प्राण, अपान , व्यान, उदान , समान , देवदत्त, धनञ्जय, कूर्म, कृकल व नाग। 
मृत्यु से पार होने को यम कहते हैं।  जो मृत्यु को विजय कर लेता है  उसे यमराज कहते हैं।
यमाम ब्रह्मा अज्ञान रूप अन्धकार को त्यागना ही मृत्यु को विजय करना है।


४. जल में प्रभु की ज्योति विद्यमान रहती है।  हे ज्योति स्वरुप मेरे अंतर में दिव्य ज्योति फैलाओ , कर्म योग का तत्व समझा कर नर तन सफल बनाओ।


. इस पृथ्वी पर जो कि सातवीं श्रेणी का स्वर्ग कहलाता है कर्म ही महान है।  व कर्मों के बिना काम व अर्थ सिद्ध नहीं होता है।  माना एक सदस्य शाम के समय भूखा घर आये और घर वाले उसे मात्र बातें और तर्क कुतर्क सुना कर उस से सोने को कहें तो यह उस के लिए दुश्वार होगा।  परन्तु यदि कर्म करके उसे भोजन बन कर दें तो उसे नींद स्वतः ही आ जाएगी।




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ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा

सुविचार भाग २

हिन्दू धर्म :


सनातन अर्थात जो पहले से ही है और वैदिक अर्थात वेदो के अनुकूल। इसलिए यह वह धर्म है जो कि ऋषि मुनियों के द्वारा माननीय है। वैदिक और सनातन दोनों शब्द एक ही धर्म को इंगित करते हैं। स्वामी दयानन्द ने उसी पुराने धर्म को प्रतिपादित किया है। धर्म मानव की इंद्रियों में सन्निहित रहता है। अतः धर्म एक ही होता है अनेक नहीं। वाणी से सत्य बोलना धर्म व असत्य बोलना अधर्म है। आँखों से सुदृष्टि पात करना धर्म व कुदृष्टि पात करना अधर्म है। यही धर्म की मूल परिभाषा है । हिन्दू धर्म सनातन वैदिक है अतः सर्वश्रेष्ठ है। मूर्ति पूजा सही नहीं क्यूंकि यजुर्वेद में कहा है 'न तस्य प्रतिमाSस्ति' तो फिर ये मूर्तियां परमात्मा की नहीं। हाँ परमात्मा के अनन्त गुणों मे से कुछ का ज्ञान तो कराती हैं। धर्म तो परमात्मा ने सृष्टि के प्रारम्भ में ही मानव जाति के कल्याण के लिए वेद द्वारा उपदेश कर दिया था 1,96,08,53,116 वर्ष पहले। यजुर्वेद के 40 वें अध्याय का ये मन्त्र - 'अन्धन्तमः प्रविशन्ति येSसम्भूतिमुपासते .............' कहता है कि नाशवान अर्थात जगत के पदार्थ व अविनाशी अर्थात प्रकृति, परमात्मा व आत्मा इनको उचित रूप से मान इनकी पूजा अर्थात संग, सदुपयोग व प्रार्थना आदि करने से ऐशवर्य व मुक्ति दोनों प्राप्त कर सकते हैं अन्यथा नरक में गति है। मूर्तिपूजक इस मन्त्र का अर्थ सही प्रकार से न समझ सके। 






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ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा 'भवानन्द'

गुरुवार, 26 मई 2016

सुविचार

*सुबह उठते ही एक गिलास पानी (जाड़ों में गर्म व गर्मियों में ताज़ा ) जल्दी जल्दी पियें।  यह अमृत तुल्य है तथा इसे उषा पान कहते हैं। भोजन से पूर्व का जल अमृत, बीच-बीच में थोड़ा-थोड़ा जल जल व भोजन के तुरन्त बाद जल विष के तुल्य है।  भोजन के कम से कम आधा घंटा बाद ही जल पिएं-   (रामदेव बाबा , चाणक्य नीति एवं ऋग्वेद )


*दान के समान अन्य कोई सुहृद नहीं है और पृथ्वी पर लोभ के समान कोई शत्रु नहीं है।  शील के समान कोई आभूषण नहीं है और संतोष के समान कोई धन नहीं है-  (विदुर नीति )

 
*तप कहते हैं अपनी इंद्रियों को तपाना और जो हमारे ह्रदय में दूषित संस्कारों का जन्म हो गया है उन दूषित संस्कारों को नष्ट करना तप और स्वाध्याय के द्वारा व इंद्रियों को जय करने के द्वारा हम इंद्रियों के दूषित संस्कारों को नष्ट कर दें।  और ओर सुन्दर संस्कारों को जन्म देने का नाम तप कहा जाता है -  (भगवान राम )

जब तक तुम्हारी इंद्रियों में अज्ञान है तुम्हारे मन मस्तिष्क मे अज्ञान है तब तक तुम मृत्यु से पार नहीं हो सकते और बिना मृत्यु से पार हुवे तुम्हारा जीवन सार्थक नहीं बनेगा।
इंद्रियों को नियमित करना ही तप है तथा बिना तप के अज्ञान नष्ट नहीं हो सकता - (ब्रह्मचारी कृष्ण दत्त जी, पूर्व श्रृंगी ऋषि)

जो व्यक्ति विद्वान, अध्यापक, ब्राह्मणों व ऋषि मुनियों के धन को हरता है या उनके क्रोध का पात्र बनता है उसका विनाश काल निकट है यह निश्चित जानो।




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ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा 

मेरे ग्राम इस्माईलपुर का इतिहास व आर्यसमाज

ॐ 
मेरे ग्राम 'ईस्माइलपुर भगीरथ' का इतिहास व आर्यसमाज





अजमेर में एक व्यक्ति (चौधरी साहब) रहते थे जिनका नाम था गाठा राय जो कि जाति से चौहान थे।  इनकी शक्ल पृथ्वी राज चौहान से मिलती थी।  अतः एक बार जब पृथ्वी राज चौहान को मुग़लों द्वारा पकड़ा गया तो ये ही उनके स्थान पर पेश करा दिए गए थे।  बाद में ये परिवार मक्का मदीना नाम के गाँव में जा कर बसा।   वहां से ये सुनहरी नाम के गाँव में जाकर बसे।

१७ वीं सदी की बात है लगभग शेरशाह सूरी के समय की बात है कि हरियाणा के जिला रोहतक के सुनारी (सुनहरी) गांव से इसी परिवार की दो बुग्गियां वहां के अत्याचारों से पीड़ित होकर गांव छोड़ कर चल पड़ीं जिनमें कुछ परिवार जाट चौधरियों के तथा एक पुरोहित का परिवार था।  ये यहाँ चांदपुर स्याऊ, जिला बिजनौर के पास नायक नंगला गांव व चहला गाँव के बीच खाली जगह पर आकर रुके और वहां रहने लगे वह जगह अकबरपुर नाम से जानी जाती है। उस जगह पर आज भी एक पुराना कुआँ विद्यमान है।  जहाँ आजकल ईस्माइलपुर ग्राम है यहाँ दो भाई ईस्माइल खां और आबिद खां ज़मीन पर क़ाबिज़ हुवे रहते थे। उन चौधरियों ने उन दोनों से यह ज़मीन खरीद ली और यहाँ अपना निवास बनाया। तथा ग्राम का नाम उन्हीं मौज्जों के अनुसार रखा गया। ईस्माइल खां से खरीदी जगह ईस्माइलपुर मौज्जा तथा आबिद खां से खरीदी जगह आबिदपुर मौज्जा कहलायी। इन दो मौज्जों से मिलकर बनी है ये जगह ईस्माइलपुर। आबिद खां व ईस्माइल खां के विशेष अनुरोध पर इस जगह का नाम उनके ही नाम पर रखा गया।  वैसे भी मुग़ल शासन था गाँव का नाम इस रूप में रखने पर जजिया कर से भी गाँव के लोगों को मुक्ति मिल गयी। इन्हीं परिवारों में दो भाई हुए भगीरथ सिंह और नारायण सिंह।  भगीरथ सिंह एक विशिष्ट प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे उन्हीं के नाम पर इस गाँव का नाम 'ईस्माइलपुर भगीरथ' प्रचलित हुआ।  और नारायण सिंह ने पैजनिया- नहटौर रोड पर एक गाँव बसाया नारायणखेड़ी। इसीलिए ईस्माइलपुर व नारायणखेड़ी के चौधरियों के गोत्र भी एक ही हैं। 


आबिदपुर में रहने वाला परिवार आबिदपुरिया, पूर्व वाले पुरबला, पश्चिम वाला पंछाला, दक्षिण वाले दखनिया व दक्खनवाला, उत्तर वाला पहाड़ला और बीच में रहने वाला परिवार बीचवाला कहलाया।


इस प्रकार हमारे गाँव में पुरब्ले, पंछाले ,दखनिये, दक्खनवाले, पहाड़ले, बीचवाले, आबिदपुरिया, रौलिये तथा पधान ये नौ परिवार प्रसिद्द हैं। तथा एक परिवार भरद्वाज गोत्र के ब्राह्मणों का है। पधानों का गोत्र तोमर तथा अन्य चौधरियो का गोत्र बुद्धवार है।

एक बार एक चौधरी घोड़े से बाहर घूमकर गाँव को आ रहे थे उनके टापों के कुछ दूर ही एक छोटा सा बालक जंगल में अकेला घूम रहा था। उसने तीव्र स्वर में पूछा 'ये किसका बालक है?' उसकी माँ जो विधवा थी दौड़कर आई और बोली 'हुज़ूर आप ही का है' . ऐसा सुनकर उन्होंने उस लड़के को घोड़े से उतरकर गले लगा लिया और कहा , 'अगर हमारा है तो अब यह इस तरह नहीं रहेगा। ' और चौधरी साहब दोनों को इस गाँव में ले आये और फिर उस लड़के की संतानें 'रौलिये' कहलायीं।



इसी गाँव की एक लड़की थीं 'हुलासी'.  उनका विवाह कहीँ बाहर हुआ था परन्तु हमारे गाँव में एक बार कुछ विवाद बाहर के गाँव वालों से हुवा वे और उनके पति दोनों गाँव में बुला लिए गए। तथा उन्होंने इस गाँव के लोगों के साथ मिलकर उन लोगों से डटकर मुकाबला किया तथा फिर वे दोनों यहीं बस गए। इन का गोत्र तोमर था। इनकी संताने पधान नाम से जानी जाने लगीं।


हमारे गाँव में सहभोज (अछूतोद्धार हेतु) तथा आर्य समाज की शुरुवात जिन लोगो ने की वे इस प्रकार हैं - पण्डित श्री कश्मीरी लाल शर्मा, श्री भीम सिंह, श्री महाशय बलबीर सिंह, केसरी सिंह, श्री भीम सिंह, श्री फतह सिंह उर्फ़ काले सिंह, मुंशी  श्री कढ़ेरा सिंह, पंडित श्री थानी  सिंह , श्री मुकंदी सिंह, श्री लज्जाराम सिंह।  तथा आर्य समाज के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए जिन का विशेष योगदान रहा वे हैं - श्री फत्तू मुन्शी, श्री महावीर मिस्त्री , श्री महावीर सिंह तोमर पधान, श्री बुद्ध सिंह, श्री महाशय रामकरण सिंह, श्री सुरेश सिंह आर्य, श्री शूरवीर सिंह, श्री नेपाल सिंह आर्य, श्री रणधीर सिंह तोमर, श्री राकेश आर्य, डा० श्री सहदेव सिंह .......... आदि।


१९३९ ईस्वी में इस आर्य समाज के भवन का निर्माण हुवा तथा यह ज्योति आर्य समाज अथाईं से यहाँ इस्माईलपुर गाँव में आई। ३ जुलाई २०१३ को आर्य समाज मंदिर भवन की पुनः नीव रखी गयी  तथा यह भवन तीन चरणों में पूरा होना है। प्रथम चरण में ३,७५,००० रुपये के लगभग इसमें लग चुके हैं। द्वितीय चरण में लगभग ३ लाख रुपये से अधिक लग चुके हैं।  हाल का लिंटर पड़ चुका है ११-१०-२०१८ को।  व बचे भाग का लिंटर २५-०१-२०१९ को पड़ा है।  और इस प्रकार कुल खर्च लगभग १० लाख रुपये का हुआ है अब तक।  बिल्कुल सही राशि भी अपडेट कर दी जाएगी। तृतीय चरण में ल्हिसाई के साथ साथ दान के पत्थर भी लगेंगे व बाथरूम, जीनों की ग्रिल आदि  से सम्बंधित काम होना है । 


-द्वारा ब्रह्मचारी अनुभव आर्य


83 वां वार्षिकोत्सव व आंशिक ऋग्वेद पारायण यज्ञ (13 जुलाई 2023 से 16 जुलाई 2023 )

महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी महाराज तथा ब्रह्मर्षि ब्रह्मचारी कृष्णदत्त जी महाराज (पूर्व श्रृंगि ऋषि) की पावनी प्रेरणा से आत्मोन्नति एवं पर्यावरण शुद्धि हेतु गुरुकुल आर्ष कन्या विद्यापीठ, श्रवणपुर नजीबाबाद की आर्ष विदुषी आदरणीया बहन सुलभा शास्त्री जी के ब्रह्मत्व में व गुरुकुल की तेजस्विनी ब्रह्मचारिणियों (बहन भारती , बहन श्रुति कीर्ति  आदि ) के वेद मंत्रों के पाठ के द्वारा ऋग्वेद  पारायण महायाग का आयोजन किया गया। तथा 83 वां  स्थापना वर्ष व वार्षिकोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया आर्ष भजनोपदेशक श्री राकेश आर्य जी और श्री नेपाल आर्य जी ने अपने सुमधुर व शिक्षा से लबरेज भजनों के द्वारा सभा में एक उल्लास और प्रेरणा का माहौल बना दिया पूज्यपाद स्वामी अग्निवेश जी योगाचार्य ने योग और जीवन को उर्ध्व बनाने के लिए मूलभूत तथ्य समझाए जिससे सभी का संकल्प एक योगी बनने का बन गया है।  योगी ७० वर्ष तक युवा रह सकता है यह एक बात उनके प्रवचनों से हमारे सामने आयी।  गुरुकुल श्रवण पुर नजीबाबाद की संस्थापिका विदुषी आचार्या बहन प्रियंवदा जी ने भी सभी बहनों को धार्मिक और कर्मशील बनने की प्रेरणा दी और कहा की सभी लोग अपने बालकों को उच्च शिक्षा दिलवाएं और साथ साथ उनको धर्म अध्यात्म और वेद का ज्ञान भी अवश्य करवावें जिला कार्यकारिणी के प्रधान रावेन्द्र आर्य जी, श्री रमेश आर्य जी , श्री ब्रह्मदत्त आर्य जी आदि उच्च पदाधिकारी गण भी इस उत्सव में आर्य समाज इस्माइलपुर में आये  ग्रामवासी भाइयों और बहनों की भीड़ मूसलधार बारिश में भी यज्ञ में शामिल हुयी  आर्य समाज के यज्ञ संयोजक अमित कुमार, अनुभव शर्मा, दीपक कुमार,अरविन्द कुमार, उदयवीर सिंह ने अपनी सूझबूझ से सारी व्यवस्था को अंत तक बनाये रखा रणधीर सिंह आर्य, नेपाल देव आर्य, डॉ० सहदेव सिंह, ग्राम प्रधान रामवीर सिंह, बहन सुनीति शर्मा, शशि प्रभा शर्मा , प्रकाश वती देवी, प्रभा देवी आदि बहुत सी बहनों का यज्ञ में विशेष सहयोग रहा 

ऋग्वेद पारायण यज्ञ  के यज्ञमान - 

उदयवीर सिंह, सुदर्शन चौधरी, अनुभव शर्मा, सचिन तोमर, दीपक चौधरी,  संजीव कुमार, राजीव कुमार, अमित चौधरी,  अरविन्द कुमार , कौशल पाल सिंह, प्रमोद चौधरी, निरंकार चौधरी, पवन कुमार, डॉ०  गगन चौधरी 


 




८० वां वार्षिकोत्सव व आंशिक अथर्ववेद पारायण यज्ञ (२६ अप्रैल २०१९ से २८ अप्रैल २०१९ तक )

सभी धर्म प्रेमी सज्जनों को यह जानकर हर्ष होगा कि महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी की पावनी प्रेरणा से  आर्य समाज भवन में वार्षिकोत्सव वैदिक उपदेष, आर्श भजनोपदेष व यज्ञ पूर्वक बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है तथा  आचार्य देवव्रत जी के वेद मंत्रों के पाठ के द्वारा आत्मोन्नति व पर्यावरण षुद्धि के हेतु पूर्व से चल रहे पारायण यज्ञों की श्रंखला में यजुर्वेेद पारायण महायज्ञ का आंषिक आयोजन भी किया जा रहा है। इस वार्षिकोत्सव  में शामिल होकर  अपनी भागीदारी अवश्य ही सुनिश्चिित कर लेवें एवं यज्ञ में आहुतियां देकर पुण्य के भागी बनें।
इस शुभावसर पर आप सब सपरिवार एवं इष्ट मित्रों सहित सादर आमंत्रित हैं। 


आमंत्रित विद्वान     ः    पं॰ कुलदीप विद्यार्थी, आचार्य देवव्रत जी एवं पं॰ मोहित षास्त्री
विशेष अतिथि गण    ः    श्री अरुण कुमार जी, श्री पंकज चौधरी जी, बहन श्रीमति रमा देवी  जी
अतिथि गण     ः    नरेष दत्त आर्य, पं॰ कुलदीप आर्य, योगेष कुमार आर्य, कल्याण सिंह आर्य, राकेष आर्य, तेजपाल सिंह, घासीराम, सीता आर्या, सुलभा षास्त्री एवं आर्याेपनिधि सभासद


२६ मार्च २॰१९  दिन मंगलवार व २७ मार्च  दिन बुद्धवार  को
प्रातः ७ः३॰ बजे से १॰ बजे तक यज्ञ
सांय २ बजे से ५ बजे तक भजनोपदेश व आर्ष प्रवचन
रात्रि ८ बजे से १॰ः॰॰ बजे तक भजनोपदेश व आर्ष प्रवचन
२८ मार्च दिन गुरूवार को
प्रातः ७ः३॰ से यज्ञ पूर्णाहुति तत्पष्चात् भजनोपदेष व आर्श प्रवचन


निवेदकः- श्रीमान् - रणधीर सिंह आर्य, महेंद्र सिंह, डा॰ सहदेव सिंह, श्रीमान् नैपाल सिंह आर्य, विजयवीर सिंह, अमित चौधरी, अमन सिंह, डा॰ नरोत्तम शर्मा, डा॰ लाखन सिंह, प्रभात सिंह, डा॰ मदनपाल सिंह, मुकेश कुमार (ग्राम प्र॰), वीर सिंह, अमित कुमार बबले, अनिल कुमार, कौशलपाल सिंह, तेजपाल सिंह पाल, उमेश कुमार, ब्रह्मपाल, संजय कुमार टेलर, विनोद कुमार शर्मा, कृष्णपाल सिंह, ओमप्रकाश, अंकुर गोयल, शेर सिंह, गजेंद्र सिंह, राजवीर सिंह, अशोक वर्धन, षूरवीर सिंह, राजवर्धन, ज्ञानेन्द्र सिंह, राजीव कुमार, सचिन तोमर, विपिन कुमार चौधरी
अशोक कुमार (पू॰प्र॰), अनुभव शर्मा आर्य, दीपक कुमार आर्य, अरविंद कुमार मोंटी, अमित कुमार सोनू, उदयवीर सिंह, सुनील कुमार, मोहित कुमार, मा॰ संजीव कुमार, डा॰ शशांक चौधरी, शरद भटनागर, शुभम  शर्मा, सचिन कुमार, आदर्श चौधरी, निखिल कुमार एवं यज्ञ समिति व महिला यज्ञ साधिका समिति इस्माईलपुर व अन्य सभी आर्य कार्यकर्त्ता।



७९ वां वार्षिकोत्सव व अथर्ववेद पारायण आंशिक महायाग (६  अप्रैल से ८ अप्रैल २०१८ तक) -

[काण्ड १३ से काण्ड १९(सू० २०) तक]

महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी महाराज तथा ब्रह्मर्षि ब्रह्मचारी कृष्णदत्त जी महाराज (पूर्व श्रृंगि ऋषि) की पावनी प्रेरणा से आत्मोन्नति एवं पर्यावरण शुद्धि हेतु गुरुकुल आर्ष कन्या विद्यापीठ, श्रवणपुर नजीबाबाद की आर्ष विदुषी आदरणीया बहन सुलभा शास्त्री जी के ब्रह्मत्व में व गुरुकुल की तेजस्विनी ब्रह्मचारिणियों के वेद मंत्रों के पाठ के द्वारा अथर्ववेद पारायण महायाग का आयोजन किया गया। तथा ७९वें स्थापना वर्ष व वार्षिकोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया।


यज्ञ संयोजक अनुभव शर्मा,  अशोक कुमार (पू०प्र० ), अरविंद कुमार ‘मोंटी’, आदर्श व सार्थक आदि रहे। 

आर्ष भजनोपदेशक  श्रीमान् नैपाल सिंह आर्य जी (आर्य जी आकाश वाणी नजीबाबाद के गायक भी हैं)
यज्ञ के सन्यासी ब्रह्मा : पूज्यपाद स्वामी अग्निवेश जी योगाचार्य (कानपुर वाले)
विशेष अतिथि गण  :  माननीय श्री वीर सिंह जी(जिला पंचायत सदस्य)

मुख्य योगदान : राजदेव सिंह, गजेंद्र शर्मा, विपिन कुमार, महेंद्र सिंह, सुनील कुमार (दखानियों में ), राजपाल सिंह, नेपाल सिंह, मुकेश कुमार (प्रधान जी ), डा० सहदेव सिंह, सुरेंद्र सिंह, श्रीमती मुन्नी देवी पत्नी स्व० सुरेश सिंह आर्य, बहन सुनीति शर्मा, बहन शशि प्रभा शर्मा, राजकुमार कौशिक, डा० मुनेश कुमार, भरत शर्मा, कमल सिंह ।


(अथर्ववेद पारायण आंशिक महायज्ञ के यजमानरणधीर सिंह आर्य, अरविन्द कुमार, अनुभव शर्मा, अशोक कुमार (पू ० प्र ० ), सचिन तोमर, विजयवीर सिंह, ज्ञानेन्द्र सिंह (पूरब वाले) , उदयवीर सिंह, दीपक कुमार, राजीव कुमार, संजीव कुमार। 

 
मंत्री(डा० सहदेव सिंह आर्य)                            प्रधान (नैपाल सिंह आर्य)






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अथर्ववेद  पारायण यज्ञ - (११  फरवरी २०१७  से १३  फरवरी  २०१७  तक ) 

गुरुकुल लाक्षागृह बरनावा के आचार्य अरविन्द शास्त्री जी के ब्रह्मत्व में वहाँ के ब्रह्मचारियों के उद्गीथ के द्वारा अथर्ववेद पारायण यज्ञ ११ फरवरी २०१७ से किया जाना  तय हुवा था।  योगाचार्य गुरुदेव स्वामी अग्निवेश जी (यज्ञ ब्रह्मा) तथा स्वामी सत्यवेश जी (शुक्रताल वाले ) भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित आये तथा चार साधू भी उपस्थित हुवे।  बहन सीता आर्य जी ने अपने आर्ष भजनोपदेश के द्वारा इस यज्ञ और ७८ वें स्थापना वार्षिकोत्सव पर हमारा मार्गदर्शन किया।

आर्य समाज इस्माईलपुर में त्रिदिवसीय अथर्ववेद पारायण आंशिक यज्ञ की पूर्णाहुति व ७८ वां वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया गया 

महानंद संस्कृत महाविद्यालय लाक्षागृह बरनावा (बागपत) के ब्रह्मचारी गांव के द्धारा आर्य समाज ईस्माइलपुर (बिजनोर) में अथर्ववेद पारायण यज्ञ ११ फरवरी से १३ फरवरी तक कराया जा रहा था।  पूज्यपाद स्वामी अग्निवेश जी महाराज के ब्रह्मत्व में व पूज्यपाद स्वामी सत्यवेश जी महाराज के सान्निध्य में यह महायाग पूर्ण हुआ तथा नित्य प्रातः सुबह को पूज्य श्री अग्निवेश जी महाराज के द्धारा योग कक्षा भी लगायी गई।  यज्ञ के उद्गाता ब्रह्मचारी अंकुर भरद्वाज ने विभिन्न स्वरों में वेदमंत्र गाये।

अन्य उपस्थित साधुओं में स्वामी दिव्यानंद सरस्वती, सम्मान मुनि जी, जगत मुनि जी, सुख मुनि जी रहे।  बहन सीता आर्य ने बहनों को व्यवहार व धर्म सुमधुर संगीत के द्वारा समझाया।

स्वामी सत्यवेश जी महाराज ने अपनी अति सुन्दर कविता  के उपदेश से राजनीति पर आक्रमण कर भ्रष्टाचार, दुराचार के खिलाफ डंका बजा दिया। यज्ञ संयोजन अनुभव शर्मा, अमित कुमार, सुनीति शर्मा, शशि प्रभा शर्मा व अरविन्द कुमार 'मोंटी' ने किया।


अथर्ववेद पारायण के यज्ञमान  (११  फ़रवरी २०१७  से ११ फ़रवरी २०१७ तक) -

(काण्ड १ से काण्ड ५ तक सम्पूर्ण)

सुरेश सिंह आर्य, नेपाल सिंह आर्य, विजयवीर सिंह, उदयवीर सिंह, सचिन तोमर, राजीव कुमार, संजीव कुमार, दीपक कुमार, रणधीर सिंह आर्य, अशोक कुमार(पू० प्र०), डा० सहदेव सिंह।




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      आपको जानकर अति हर्ष होगा कि ८ जनवरी २०१६ से ११ जनवरी २०१६ तक यहाँ पर यजुर्वेद पारायण महा यज्ञ हुआ जिसमे मुख्य यजमान श्री सुरेश सिंह आर्य सपत्नीक रहें तथा अन्य यज्ञमानो ने भी सपत्नीक आहुतियां दीं । इस यज्ञ को कन्या आर्ष गुरुकुल श्रवण पुर नजीबाबाद की ब्रह्मचारिणियों ने बहन प्रियंवदा जी के संरक्षण व ब्रह्मत्व में पूर्ण कराया। कानपुर के योगाचार्य सन्यासी स्वामी अंग्निवेश जी ने इस यज्ञ में योगदीक्षा दी व आशीर्वाद दिया ।

यजुर्वेद पारायण के यज्ञमान - (८ जनवरी २०१६ से ११ जनवरी २०१६ ) 

सुरेश सिंह आर्य, अनुभव शर्मा , रणधीर सिंह तोमर, अशोक तोमर, सचिन तोमर, दीपक चौधरी, उदयवीर सिंह, विजय वीर सिंह, संजीव कुमार, अमित चौधरी, अशोक कुमार (पू० प्र० ), चौधरी मुकेश कुमार (प्रधान) ।

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साम वेद पारायण के यज्ञमान - (१३ मार्च २०१५ से १५ मार्च २०१५)

सुरेश सिंह आर्य, नेपाल सिंह आर्य, रणधीर सिंह तोमर, गजेन्द्र शर्मा , ब्रजेश सिंह , राकेश तोमर, सचिन तोमर, उदयवीर सिंह, संजीव कुमार, राजीव कुमार , अशोक कुमार (पू० प्र० ), सुशील चौधरी, प्रभात सिंह।




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आर्य समाज के चित्र भवन निर्माण के समय पर विभिन्न चरणों में।


 द्वितीय चरण के द्वितीय  लिंटर की तैयारी के चित्र (25/01/2019)



द्वितीय चरण के प्रथम लिंटर की तैयारी के चित्र

आपका अपना

ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा

(मुख्य कार्यकर्ता, आर्यसमाज इस्माईलपुर)

(दयानन्द वैदिक यज्ञ भवन )

रविवार, 15 मई 2016

ऋषियों के उदगार

ओ३म्
(साभार - ब्रह्मचारी कृष्ण्दत्त जी 'पूर्व श्रृंगी ऋषि')

१. मानव को कार्य करने से पूर्व उसका महान विधान बना लेना चाहिए।
२. गम्भीरता उसी काल में आती है जब मानव अपनी त्रुटियों को देखने लगता है।
३. सबसे पूर्व अभिमान को त्यागना है।
४. संसार में वहीँ मानव सुख पाता है जो किसी का हो जाता है।
५. यह मन प्रकृति से बनता है।
६. आज मानव को प्रत्येक इंद्रिय पर अनुसंधान करना है।
७. योगी बनने के लिये सबसे प्रथम अपने विचारों को महान बनाना है।
८. बिना त्याग और तपस्या के योगी बनना मानव का केवल स्वप्न मात्र है।
९. योगिक क्रियाओं के लिए सबसे प्रथम अपने विचारों को यथार्थ बनाना है।
१०. योगी बनने के लिए आज हमें धारणा , ध्यान, समाधियों में लय होना होगा।
११. आत्मा की दो महान सत्तायें स्वाभाविक हैं।
१२. आत्मा का जो ज्ञान स्वाभाविक है उसको जानने के लिये वेद विद्या का प्रसार करना, वेद विद्या को ग्रहण करना पड़ेगा।

१३. बिना शरीर के ये आत्मा एक क्षण भर भी नहीं रहता?
१४. वेद वाणी का उच्चारण उस काल में सफल होता है जब हम उसके अनुकूल अपने आचरण को बना लेते हैं।
१५. अन्तः करण वह स्थान है जिसमे मानव के जन्म जन्मांतरों के संस्कार विराजमान रहते हैं।
१६. जैसी भी यहाँ भावनायें हों, जैसे भी कर्म करके जायेंगे, उसी के अनुकूल हमें जन्म प्राप्त हो जाता है।
१७. जिस पद के तुम अधिकारी हो या तुम्हें चुना गया है, वह चाहे तुम्हारे लिये हानिकारक है परन्तु तुम्हारा कर्त्तव्य है कि उसका पूर्ण रूपेण पालन करो।  उसको हानि न पहुँचाओ यदि लाभ हानि पहुँचाओगे तो तुम्हें कोई भी लाभ प्राप्त न होगा।


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ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा 'भवानन्द'
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