शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016

गुरुओं को नमन

बाबा रामदेव जी को नमन


नमस्कार कल्याण स्वरुप नमस्कार हे प्रभु अनूप।
नमस्कार सब सुखों के दाता नमस्कार हे बुद्धि विधाता।
नमस्कार बल के भंडारा नमस्कार है बारम्बारा ।
नमस्कार सौ बार हमारा।

नमन करूँ गुरुदेव को दिया जीवन को सुलझाय।
आपा सुधरा उल्टा पथ अब सीधा बनता जाय।
उलटानंद था आज तक भवानंद का ज्ञान।
देकर मुझको किया है धन्य गुरूजी अमृत की खान।
अध्यात्म दिलाया दुरगति छीनी नाम है कृष्ण दत्त महाराज।


नमन करूँ अपने गुरुओं को जो जीवन मिलता जाय।
वेद ज्ञान को पाय के मैं मूरख रहा भरमाय।
लौट रहा वेदों की ओर ज्ञान फिर क्यों न भीतर आय।
देव दयानंद जी वैदिक पथ से चलने को समझाय।
दयानंद का पुत्र भवानंद अब क्यों न कहलाय।
१३ जनम बिताय के दिव्य जब दयानंद जी आय।

नमन करूँ गुरुदेव को रहे अंतर में अब छाय।
 ऋषि मुनियों को लेकर चले आदर्श रूप हैं भाई।
राम कृष्ण आदर्श थे अपने पुरा काल से अब तक।
माता मदालसा गार्गी और सीता बहनों की सरताज।
जाने ना था अब तक ये मन योग ज्ञान से पार।
किया जीवन जहाज किनारे ब्रह्मचर्य को धार।

आज श्रुति हो रही है मुदिता मैं रहा गृहस्थ में डोल।
पर कीर्तियाँ हैं फैल रहीं चहुँ दिशा चहुँ ओर।

जीवन माता पिता ने दिया किया बड़ा उपकार।
गुरुओं की किरपा बिना`बिना जीवन था निस्सार।


आपका अपना
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा 'भवानंद'
मेरा परिचय (अंग्रेजी में )

सोमवार, 10 अक्तूबर 2016

जाग रहा है भाग्य हमारा

जाग रहा है भाग्य हमारा

जाग रहा है भाग्य हमारा जाग रहा है भारत देश।
योग, यज्ञ, उपासना प्रभु की करने लगा है क्योंकि देश।
फिर से धन, ऐश्वर्य और ज्ञान हम पर हुआ मेहरबां है।
धर्म, अर्थ और काम मोक्ष की आस हमें ऐ नादाँ है।
सब कुछ हम पर है, हम सब कुछ हैं।
छूटा अज्ञान, अन्धकार, अशुभ  और क्लेश।
 जाग रहा है भाग्य हमारा जाग रहा है भारत देश।


बल अंतर का जाग चुका है बल शरीर में आया है।
आध्यात्मिकता व भौतिकता का मिलन हमें यूँ भाया है।
आज दूर यंत्रों से हों या न हों प्रेम घुमड़ कर छाया है।
कृपा प्रभु से आत्म विभोर हो ह्रदय हमारा गाता है।


जाग रहा है भाग्य हमारा जाग रहा है भारत देश।


आओ सभी इस परम पिता के लिए गीत मिल गायें।
दूर शत्रुता करके फिर से प्रभु शरण हो जाएँ।
बन जाने दो इस देश को फिर से विश्व गुरु ऐ यारों।
हो जाये निष्कंटक जिससे राज्य धर्म वैदिक का।


शंख, चक्र अपनाओ फिर से पद्म, गदा धारो तुम।
ऐ ब्रह्मचारी विष्णु रूप अपने को पहचानो तुम।


जाग रहा है भाग्य हमारा जाग रहा है भारत देश।


(स्वरचित)

See : जाग रहा है भाग्य हमारा जाग रहा है भारत देश also


See: Awaking Our Destiny  (In English)
आपका
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा
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