शुक्रवार, 31 मार्च 2017

अनमोल वचन

1- व्यक्तित्व का पता वाणी से चल जाता है।

2- भागिये मत, अपने कर्तव्य स्थल पर खड़े रहिये। मनुष्य का गौरव इसी में ही सन्निहित है।

3- देह सुख की लालसा ही क्षुद्रता है।

4- जो अपने व्यक्तित्व निर्माण के लिए सजग है उसके सपनों का साकार होना निश्चित है।

5- गहन आत्म श्रद्धा ईश्वर-आस्था का पर्याय है।

6- अधिकांश अपने अरमानों की लाश ढोते हुए संसार से विदा हो जाते हैं।

7- सुबह यदि संभावनाओं की है तो दिन संघर्षों का है।

8- धर्म का आचरण मनुष्य को भव सागर से पार कर देता है।

9- प्रकृति एवं प्रवृत्ति में बढ़ रहे अन्धाधुन्ध प्रदूषण ने ही उज्जवल भविष्य की सभी संभावनाओं को रोक रखा है।

10- नैतिक-कत्र्तव्य मोह ममता से अधिक महत्वपूर्ण है।

11- भाग्यवादी होना चरम जड़ता का प्रतीक है।

12- लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनंत धैर्य आवश्यक है।

13- ईश्वर उपासना एक आवश्यक धर्म-कत्र्तव्य है।

14- गर्व करने वाले मनुष्य का पतन अवश्य होता है।

15- ईश्वर सर्वोपरि और सर्वशक्तिमान आराध्य देव है।

16- आत्म-अनुशासित रहो, विनम्र रहो व निर्मल दृष्टि रखो।

17- प्रसन्न रहना ईश्वर की सर्वोपरि भक्ति है।


साभार- श्री विश्वपाल सिंह त्यागी
नायक नंगला, फोन - 8650209774


आपका अपना
ब्रह्मचारी अनुभव आर्यन्


रविवार, 19 मार्च 2017

परमात्मा क्या है ?

(कठोपनिषद से एक खंड )


यमाचार्य ने उत्तर दिया परमात्मा का न कोई नाम है, न रूप है, अध्यात्म तो जीवन की एक दिशा है।  वेद शास्त्र उस जीवन का ही वर्णन करते हैं।  तपस्वी लोग उस जीवन ही की बात करते हैं।  उस जीवन की चाह से ही ब्रह्मचर्य व्रत लिया जाता है।  उस जीवन को अगर एक शब्द में कहना चाहें तो उसे ओं कह सकते हैं।  ओं परमात्मा का नाम नहीं है।  ॐ तो एक पद है एक ध्वनि है।  सर्वे वेद यत पदम् आमनन्ति।  नाम तो शरीरधारी का होता है परमात्मा शरीर धारी नहीं है।  ओम इस पद का इस ध्वनि का उच्चारण करने से शरीर में ऐसे कम्पन उत्पन्न होते हैं, जिनसे, ॐ की ध्वनि से शरीर तथा मन में आध्यात्मिक तरंगें पैदा होनी शुरू हो जाती हैं।
 -कठोपनिषद द्वितीय वल्ली से  

भाइयों बहनों परमात्मा कण कण में विद्यमान है और वह कभी भी शरीर धारण नहीं करते तथा परमात्मा इतने बुद्धिमान हैं कि उनके द्वारा अनंत जीवों के जन्मों जन्मों की कर्म फल व्यवस्था को किया जाता है।  अतः उन्हें गजानन  कहते हैं।  उनके गर्भ में हम असंख्य जीव एक साथ रहते हैं अतः उनको लम्बोदर भी कहते हैं।  आर्य समाजी भाई बहन इस बात को अन्यथा ना लेवें।  परमात्मा सभी पूजा व उपासनाओं में सर्व प्रथम याद किये जाते हैं अतः उनको गणेश कहते हैं।  परमात्मा को देखा जाना संभव नहीं इन आँखों से क्योंके उनका अस्तित्व एक अदृश्य चेतना के रूप में है।  और आँख जिन प्रकृति के परमाणुओं से बनी है उन से भी सूक्ष्म परमात्मा होते हैं। अतः परमात्मा के दर्शन हम नहीं कर सकते हाँ योग के द्वारा हमारा आत्मा जो परमात्मा का प्यारा पुत्र माना गया है वैदिक साहित्य में, परमात्मा को साक्षात् देख सकता है।  क्योंकि चेतना, चेतना के दर्शन कर सकती है। 
धन्यवाद


आपका अपना 
ब्रह्मचारी अनुभव आर्यन

शनिवार, 18 मार्च 2017

हिन्दू ह्रदय सम्राट योगी आदित्यनाथ


 शख्सियत :  योगी आदित्यनाथ
जन्म परिचय व राजनैतिक जीवन:-

हिन्दू ह्रदय सम्राट ,योगी आदित्यनाथ जी महाराज गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी एवं सांसद हैं। योगी आदित्यनाथ का वास्तविक नाम अजय सिंह है। आदित्यनाथ बारहवीं लोक सभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। उस समय उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी। उन्होंने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित से बी.एस.सी किया है। उन्होंने धर्मांतरण (जैसे निम्न वर्ग हिंदुओं को ईसाई बनाना) गौ वध रोकने की दिशा में सार्थक कार्य किये हैं। वे गोरखपुर से लगातार 5 बार से सांसद हैं। वे 1998 से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो कि हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है। योगीजी का जन्म देवाधिदेव भगवान् महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखण्ड में 5 जून सन् 1972 को हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगी जी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। आपने विज्ञान वर्ग से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की तथा छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़े रहे। विज्ञान स्नातक योगी आदित्यनाथ जी महाराज के विश्व-विष्रुत कृतित्व एवं व्यक्तित्व से सारे भारत वर्ष के ही नही अपितु भारत के बाहर के देशों में भी जहाँ-जहाँ हिन्दू रहते है भलि-भाँति परिचित है। इनकी व्यवहार कुशलता, दृढ़ता, कर्मठता, हिन्दुत्वनिष्ठा असंदिग्ध है। योगी जी के युवा नेतृत्व में थोड़ी ही समय में सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश में हिन्दू का जो तेजोमय पुनर्जागरण हुआ है वही युगान्तकारी है।

दीक्षाभिषेक और हिन्दू पुनर्जागरण अभियान :- जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने मांगलिक वैदिक मंत्रोच्चारणपूर्वक अपने उत्तराधिकारी पट्ट शिष्य उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया। आपने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ। अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में आपने सफलता प्राप्त की। आपके हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी जी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गये।
राजनीति में प्रवेश :- महन्त अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई है। अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर आपने वर्ष 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, वो 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने। 1998 से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। योगी यूपी बीजेपी के बड़े चेहरे माने जाते थे। 2014 में पांचवी बार योगी सांसद बने। राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली, उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए उन्होंने कई बार विवादित बयान दिए। योगी विवादों में बने रहे, लेकिन उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई। 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया, गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा। योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने आपको वर्ष 1999, 2004 और 2009 के चुनाव में निरन्तर बढ़ते हुए मतों के अन्तर से विजयी बनाकर चार बार लोकसभा का सदस्य बनाया।

योगी का कद :- अब तक योगी आदित्यनाथ की हैसियत ऐसी बन गई कि जहां वो खड़े होते, सभा शुरू हो जाती, वो जो बोल देते हैं, उनके समर्थकों के लिए वो कानून हो जाता है यही नहीं, होली और दीपावली जैसे त्योहार कब मनाया जाए, इसके लिए भी योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर से ऐलान करते हैं, इसलिए गोरखपुर में हिुंदुओं के त्योहार एक दिन बाद मनाए जाते हैं। गोरखपुर और आसपास के इलाके में योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदू युवा वाहिनी की तूती बोलती है। बीजेपी में भी उनकी जबरदस्त धाक है। इसका प्रमाण यह है कि पिछले लोकसभा चुनावों में प्रचार के लिए योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने हेलीकॉप्टर मुहैया करवाया था।

करिश्माई व्यक्तित्व:- योगी जी जैसे तेजस्वी, उर्जामान तथा अन्नत संभावनाओं से भरे कृति युवा के करिश्माई व्यक्तित्व का आकलन बड़ा ही कठिन है। परम पूज्य गुरूदेव गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज एवं अपने दादा गुरू ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी को अपना आदर्श एवं प्रेरणाश्रोत माननेवाले योगी जी विलक्षण प्रतिभा के धनी है। अपने गुरू महाराज की हर कथनी को करनी में क्रियान्वित करने को निरन्तर तत्पर रहते है। योगी जी हठयोग एवं राजयोग साधना की सैद्धान्तिक, व्यवहारिक प्रक्रिया में पटु, भारतीय संस्कृति, विशेष रूप से हिन्दुत्व के प्रति पूर्णरूप से समर्पित है। गोरक्षपीठ से दीक्षित होने के साथ ही अपनी गुरू परम्परा के अनुसार उन्होंने पूर्वी उ.प्र. में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अंस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जहां जमकर प्रहार करके बृहद हिन्दू समाज को संगठित किया। संगठित राष्ट्रवादी ताकत के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिये आम जनमानस को जागरूक करके हजारों गोवंश को तस्करों के हाथो से बचाया तथा गोरखपुर समेत पूर्वी उ.प्र. में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में सफलता प्राप्त की।

सबसे कम उम्र के सांसद:- योगी जी की भौतिक उपलब्धियों में सन् 1998 में भारतीय संसद में सबसे कम उम्र के सांसद के रूप मे चुना जाना, सन् 1997 में पंचम् विश्व हिन्दू महासंघ के आयोजन के कर्णधार एवं सूत्रधार, सन् 1999 में दुबारा सांसद के रूप मे चुना जाना, सन् 2003 में विश्व हिन्दू महासंघ के तत्वावधान में सप्तम विश्व हिन्दू महासंघ का दुर्लभ ऐतिहासिक आयोजन, सन् 2004 का लोक सभा चुनाव भारी बहुमत से जीतना, सन् 2006 में विश्व हिन्दू महासम्मेलन का ऐतिहासिक आयोजन गोरखपुर में करना, सन् 2009 में चौथी बार गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में भारी बहुमत से चुनाव जीतना आदि। यशस्वी एवं तेजस्वी पुरूष अपने कृतित्व एवं पुरूषार्थ के लिए उम्र के मोहताज नही होते। योगी जी ने थोड़े समय में ही अपने स्वयं स्फूर्ति से भावना, परदुख कातरता, कर्मठता, सूझबूझ तथा भगीरथ प्रयत्नों द्वारा हीनताबोध से ग्रस्त मूर्च्छित-प्राय हिन्दू समाज में संजीवनी का कार्य किया है।

हिन्दू संगमों का आयोजन:- वस्तुतः हिन्दू युवा वाहिनी का गठन इसी सोच का परिणाम है। पूर्वांचल में विभिन्न स्थलों में हिन्दू संगमों का आयोजन भी इसी ष्रृंखला की कड़ी है। संप्रति विश्व हिन्दू महासंघ की भारत इकाई के अध्यक्ष, गोरखपुर के लोकप्रिय सांसद, हिन्दू युवा वाहिनी, गोरक्षनाथ पूर्वांचल विकास मंच, ष्रीराम शक्ति प्रकोष्ठ आदि के मुख्य संरक्षक, तीन दर्जन से अधिक शिक्षण-प्रशिक्षण, चिकित्सीय तथा सामाजिक सेवा प्रकल्पों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े योगी जी स्वधर्म एवं स्वराष्ट्र के प्रति अत्यन्त संवेदनशील है। ओजस्वी वक्ता, योग एवं अध्यात्म के कुशल अध्येता योगी जी सिद्धहस्त लेखक भी है।

बहुमुखी प्रतिभा के लेखक व लिखित पुस्तके:- आपकी बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ आप समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार-पत्रों में भेजते रहते हैं। इनकी लिखित पाँच पुस्तके हठयोग: स्वरूप एवं साधना, राजयोग: स्वरूप एवं साधना एवं हिन्दू राष्ट्र नेपाल – अतीत एवं वर्तमान आदि काफी लोकप्रिय रहीं है। गुरू महाराज द्वारा प्रदत्त नाम के अनुसार आचरण, तीक्ष्ण बुद्धि, दृढ़ इच्छा शक्ति, विचारों में सागरसी गहराई, दीन-दुखियों की मदद को सदैव तत्पर योगीजी को हिन्दू जनता अपने रक्षक के रूप मे देखती है। श्री गोरखनाथ मन्दिर से प्रकाशित होने वाली वार्षिक पुस्तक ‘योगवाणी’ के आप प्रधान सम्पादक हैं तथा ‘हिन्दवी’ साप्ताहिक समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक रहे। आपका कुशल नेतृत्व युगान्तकारी है और एक नया इतिहास रच रहा है।

विवाद और विवादित बयान:- 7 सितम्बर 2008 को सांसद योगी आदित्यनाथ आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था। इस हमले में वे बाल-बाल बच गये। यह हमला इतना बड़ा था की सौ से अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहुलुहान कर दिया। आदित्यनाथ गोरखपुर दंगों के दौरान तब गिरफ्तार किया गया जब मुस्लिम त्यौहार मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गयी। जिलाधिकारी ने बताया की वह बुरी तरह जख्मी है। तब अधिकारियों ने योगी को उस जगह जाने से मना कर दिया परन्तु आदित्यनाथ उस जगह पर जाने को अड़ गए। तब उन्होंने शहर में लगे कर्फ्यू को हटाने की मांग की। अगले दिन उन्होंने शहर के मध्य श्रद्धान्जली सभा का आयोजन करने की घोषणा की लेकिन जिलाधिकारी ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। आदित्यनाथ ने भी इसकी चिंता नहीं की और हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ़्तारी दी। आदित्यनाथ को सीआरपीसी की धारा 151A, 146, 147, 279, 506 के तहत जेल भेज दिया गया। उनपर कार्यवाही का असर हुआ कि मुंबई-गोरखपुरगोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंक दिए गए, जिसका आरोप उनके संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर लगा। यह दंगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों और तीन मंडलों में भी फ़ैल गए।उनकी गिरफ़्तारी के अगले दिन जिलाधिकारी हरि ओम और पुलिस प्रमुख राजा श्रीवास्तव का तबादला हो गया। कथित रूप से आदित्यनाथ के ही दबाव के कारण मुलायम सिंह यादव की उत्तर प्रदेश सरकार को यह कार्यवाही करनी पड़ी। यह दंगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों और तीन मंडलों में भी फैल गए। उनकी गिरफ्तारी के अगले दिन जिलाधिकारी और पुलिस का तबादला हो गया।

विवादितबयान:- दादरी हत्याकांड में अपने विवादास्पद बयानों के चलते बीजेपी के सांसद योगी आदित्यनाथ एक बार फिर सुर्खियों में हैं । खुद को हिॆंदुओं का रहनुमा बताने वाले योगी आदित्यनाथ कभी लव जेहाद और धर्मांतरण को लेकर दिए बयानों के चलते पहले भी विवादों में रहे हैं। योगी जी बात उनके समर्थकों के लिए पत्थर की लकीर होती है।

1- दादरी हत्याकांड पर योगी ने कहा यूपी कैबिनेट के मंत्री (आजम खान) ने जिस तरह यूएन जाने की बात कही है, उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। आज ही मैंने पढ़ा कि अखलाख पाकिस्तान गया था और उसके बाद से उनकी गतिविधियां बदल गई थीं। क्या सरकार ने ये जानने की कभी कोशिश की कि ये व्यक्ति पाकिस्तान क्यों गया था। आज उसे महिमामंडित किया जा रहा है।
2- अगस्त 2014 में लव जेहाद’ को लेकर योगी का एक वीडियो सामने आया था, जिसे लेकर काफी हल्ला मचा था। इस वीडियो में योगी आदित्यनाथ अपने समर्थकों से कहते सुनाई दे रहे थे कि हमने फैसला किया है कि अगर वे एक हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन करवाते हैं तो हम 100 मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाएंगे। बाद में योगी ने वीडियो के बारे में कहा कि मैं इस मुद्दे पर कोई सफाई नहीं देना चाहता। यह मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे वीडियो दिखाने से पहले उनकी जांच कर ले।
3- फरवरी 2015 में योगी आदित्यनाथ ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि अगर उन्हें अनुमति मिले तो वो देश के सभी मस्जिदों के अंदर गौरी-गणेश की मूर्ति स्थापित करवा देंगे। उन्होंने कहा था कि आर्यावर्त ने आर्य बनाए, हिंदुस्तान में हम हिंदू बना देंगे। पूरी दुनिया में भगवा झंडा फहरा देंगे। मक्का में गैर मुस्लिम नहीं जा सकता है, वेटिकन सिटी में गैर ईसाई नहीं जा सकता है। हमारे यहां हर कोई आ सकता है।
4- योग के ऊपर भी विवादित बयान देते हुए योगी आदित्यतनाथ ने कहा था कि जो लोग योग का विरोध कर रहे हैं उन्हेंव भारत छोड़ देना चाहिए। उन्होंने ने यहां तक कहा कि लोग सूर्य नमस्काोर को नहीं मानते उन्हें समुद्र में डूब जाना चाहिए।
5- अगस्त 2015 में योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि मुस्लिमों के बीच ‘उच्च’ प्रजनन दर से जनसंख्या असंतुलन हो सकता है।
6- अप्रैल 2015 में योगी ने हरिद्वार में विश्वप्रसिद्ध तीर्थस्थल ‘हर की पौड़ी’ पर गैर हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसके बाद काफी बवाल मचा था।

भारतीय जनता पार्टी से सम्बन्ध व बड़े चेहरे :- आदित्यनाथ के भारतीय जनता पार्टी के साथ रिश्ता एक दशक से पुराना है। वह पूर्वी उत्तर प्रदेश में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। इससे पहले उनके पूर्वाधिकारी तथा गोरखनाथ मठ के पूर्व महन्त, महन्त अवैद्यनाथ भी भारतीय जनता पार्टी से 1991 तथा 1996 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। योगी आदित्यनाथ सबसे पहले 1998 में गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और तब उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया और वे 1999, 2004, 2009 व 2014 में सांसद चुने गए। योगी जी ने अप्रैल 2002 मे हिन्दु युवा वाहिनी बनायी जिसके कार्यकर्ता पूरे देश मे हिन्दु धर्म विरोधी कार्यो को रोकने का काम कर रहे है। संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण आपको केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया। व्यवहार कुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से उपजी आपकी प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। इसी अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण आप लगभग 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबन्धक या संयुक्त सचिव हैं।

हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिन्दु महासंघ जैसी हिन्दुओं की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आपने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दु महासंघ के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया। सम्प्रति आपके प्रभामण्डल से सम्पूर्ण विश्व परिचित हुआ।

भगवामय बेदाग जीवन:- योगी आदित्यनाथ जी महाराज एक खुली किताब हैं जिसे कोई भी कभी भी पढ़ सकता है। उनका जीवन एक योगी का जीवन है, सन्त का जीवन है। पीड़ित, गरीब, असहाय के प्रति करुणा, किसी के भी प्रति अन्याय एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध तनकर खड़ा हो जाने का निर्भीक मन, विचारधारा एवं सिद्धान्त के प्रति अटल, लाभ-हानि, मान-सम्मान की चिन्ता किये बगैर साहस के साथ किसी भी सीमा तक जाकर धर्म एवं संस्कृति की रक्षा का प्रयास उनकी पहचान है।

पीड़ित मानवता को समर्पित जीवन:- वैभवपूर्ण ऐश्वर्य का त्यागकर कंटकाकीर्ण पगडंडियों का मार्ग उन्होंने स्वीकार किया है। उनके जीवन का उद्देश्य है – ‘न त्वं कामये राज्यं, न स्वर्ग ना पुनर्भवम्। कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामर्तिनाशनम्।। अर्थात् ‘‘हे प्रभो! मैं लोक जीवन में राजपाट पाने की कामना नहीं करता हूँ। मैं लोकोत्तर जीवन में स्वर्ग और मोक्ष पाने की भी कामना नहीं करता। मैं अपने लिये इन तमाम सुखों के बदले केवल प्राणिमात्र के कष्टों का निवारण ही चाहता हूँ।’’ पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज को निकट से जानने वाला हर कोई यह जानता है कि वे उपर्युक्त अवधारणा को साक्षात् जीते हैं। वरना जहाँ सुबह से शाम तक हजारों सिर उनके चरणों में झुकते हों, जहाँ भौतिक सुख और वैभव के सभी साधन एक इशारे पर उपलब्ध हो जायं, जहाँ मोक्ष प्राप्त करने के सभी साधन एवं साधना उपलब्ध हों, ऐसे जीवन का प्रशस्त मार्ग तजकर मान-सम्मान की चिंता किये बगैर, यदा-कदा अपमान का हलाहल पीते हुए इस कंटकाकीर्ण मार्ग का वे अनुसरण क्यों करते?

सामाजिक समरसता के अग्रदूत:-
‘जाति-पाँति पूछे नहिं कोई-हरि को भजै सो हरि का होई’ गोरक्षपीठ का मंत्र रहा है। गोरक्षनाथ ने भारत की जातिवादी-रूढ़िवादिता के विरुद्ध जो उद्घोष किया, उसे इस पीठ ने अनवरत जारी रखा। गोरक्षपीठाधीश्वर परमपूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के पद-चिह्नों पर चलते हुए पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने भी हिन्दू समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नारी-पुरुष, अमीर-गरीब आदि विषमताओं, भेदभाव एवं छुआछूत पर कठोर प्रहार करते हुए, इसके विरुद्ध अनवरत अभियान जारी रखा है। गाँव-गाँव में सहभोज के माध्यम से ‘एक साथ बैठें-एक साथ खाएँं’ मंत्र का उन्होंने उद्घोष किया।

भ्रष्टाचार-आतंकवाद-अपराध विरोधी संघर्ष के नायक: – योगी जी के भ्रष्टाचार-विरोधी तेवर के हम सभी साक्षी हैं। अस्सी के दशक में गुटीय संघर्ष एवं अपराधियों की शरणगाह होने की गोरखपुर की छवि योगी जी के कारण बदली है। अपराधियों के विरुद्ध आम जनता एवं व्यापारियों के साथ खड़ा होने के कारण आज पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपराधियों के मनोबल टूटे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में योगी जी के संघर्षों का ही प्रभाव है कि माओवादी-जेहादी आतंकवादी इस क्षेत्र में अपने पॉव नही पसार पाए। नेपाल सीमा पर राष्ट्र विरोधी शक्तियों की प्रतिरोधक शक्ति के रुप में हिन्दु युवा वाहिनी सफल रही है।

शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा के पुजारी:- सेवा के क्षेत्र में शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता दिये जाने के गोरक्षपीठ द्वारा जारी अभियान को पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने भी और सशक्त ढंग से आगे बढ़ाया है। योगी जी के नेतृत्व में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् द्वारा आज तीन दर्जन से अधिक शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाएँ गोरखपुर एवं महाराजगंज जनपद में कुष्ठरोगियों एवं वनटांगियों के बच्चों की निःशुल्क शिक्षा से लेकर बी0एड0 एवं पालिटेक्निक जैसे रोजगारपरक सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का भगीरथ प्रयास जारी है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय ने अमीर-गरीब सभी के लिये एक समान उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करायी है। निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों ने जनता के घर तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुचायी हैं।

विकास के पथ पर अनवरत गतिशील:- योगी आदित्यनाथ जी महाराज के व्यक्तित्व में सन्त और जननेता के गुणों का अद्भुत समन्वय है। ऐसा व्यक्तित्व विरला ही होता है। यही कारण है कि एक तरफ जहॉ वे धर्म-संस्कृति के रक्षक के रूप में दिखते हैं तो दूसरी तरफ वे जनसमस्याओं के समाधान हेतु अनवरत संघर्ष करते रहते है; सड़क, बिजली, पानी, खेती आवास, दवाई और पढ़ाई आदि की समस्याओं से प्रतिदिन जुझती जनता के दर्द को सड़क से संसद तक योगी जी संघर्षमय स्वर प्रदान करते रहे हैं। इसी का परिणाम है कि केन्द्र और प्रदेश में विपक्षी पार्टियों की सरकार होने के बावजूद गोरखपुर विकास के पथ पर अनवरत गतिमान है।

योगी आदित्यनाथ सीएम उम्मीदवार:

संघ और भाजपा को भले ही अभी यूपी चुनाव में सीएम पद के लिए एक अदद चेहरे की तलाश हो, मगर नागपुर का आशीर्वाद मिलने से गोरखपुर सांसद योगी आदित्यनाथ खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार मानकर बिगुल फूंक दिए हैं। एक वीडियो-सांग में आदित्यनाथ हिंदू बिग्रेड ने सूबे में अबकी बार-योगी सरकार की अपील की है। भोजपुरी के एक बड़े गायक की आवाज वाला यह वीडियो सांग के बोल हैं-

"योगी आदित्यनाथ का नारा, बोल रहा है यूपी सारा,
चलो रे भईया अबकी बनाए योगी सरकार के,
तभी अवध में मंदिर बनेगा मेरे प्रभु श्रीराम के…।"

बेहद सुरीली और जोशीली आवाज में राम मंदिर के नाम पर भावनाओं को झकझोर देने वाले इस वीडियो से हिंदू वर्ग के लोगों की भावनाओं को योगी के पक्ष में झुकाने की कोशिश की है। हर शख्स के मोबाइल पर माहौल गरम करने वाला गीत पहुंचाने के लिए वीडियो को फेसबुक, व्हाट्सअप सहित सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर दौड़ाया जा रहा है। इसे अब रैली-सभाओं में भी बजाया जाएगा। योगी को इस बार मुख्यमंत्री बनाने के लिए उनकी भगवा बिग्रेड ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। उनके संगठन हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता दिन में जहां बैनर-पोस्टर के साथ यूपी के कोने-कोने को पाटने जुटे हैं वहीं रात में फुर्सत मिलने पर भाजपा मुख्यमंत्री के रूप में योगी की दावेदारी प्रचारित करने के लिए फेसबुक, व्हाट्सअप पर शेयरिगं मार रहे हैं। ताकि योगी के पक्ष में हवा टाइट रहे।

नागपुर का मिल चुका है आशीर्वाद:- भाजपा में किसी पार्टी प्रत्य़ाशी को अंतिम रूप से हरी झंडी संघ से ही मिलती है। बताया जा रहा कि योगी आदित्यनाथ को संघ के बड़े पदाधिकारियों का समर्थन हासिल हो चुका है।




आपका 
ब्रह्मचारी अनुभव आर्यन

शुक्रवार, 17 मार्च 2017

बारमुडा के रहस्य का पटाक्षेप

ॐ 
जय गुरुदेव 

महाराजा घटोत्कच, भीम, श्वेतवाचक , बर्बरीक, और बब्रुवाहन पांचों ने एक यंत्र का निर्माण किया था और समुद्र में आज भी उसकी छाया आती रहती है।  आज से पांच हजार पांच सो वर्ष पूर्व इस यंत्र का निर्माण हुआ था।  और वह यंत्र अंतरिक्ष में विद्यमान है।  आधुनिक काल में यहाँ के वैज्ञानिकों का यंत्र जब गति करता है और  छाया में आ जाता है तो उस यंत्र का एक अंकुर भी नहीं रह पाता , वह इस प्रकार का यंत्र है।  समुद्रों के तटों पर वैज्ञानिकों का समाज एकत्रित होता है।  वह विचारता है कि यह कोई देव की ही कृति है।  कोई कहता है कि यह पूर्वकाल के वैज्ञानिकों का क्रिया कलाप है।  आधुनिक काल में इस प्रकार के यंत्रों का निर्माण नहीं हो सका है।  जो उस यंत्र की अग्नि को अपने यंत्र की अग्नि से समावेश करा सके।  परंतु प्रत्येक राष्ट्र के वैज्ञानिक यहाँ लगे हुए हैं कि हम उस समुद्र के तट वाले विज्ञान को जानना चाहते है।   परंतु ये यंत्र ऐसा है कि उसकी जहाँ भी छाया जाती है चाहे वह जल में जाने वाला यंत्र हो, चाहे वायु में गति करने वाला हो, जहाँ भी उसकी छाया आ गई वह यंत्र समाप्त हो जाता है।  आधुनिक काल के वैज्ञानिक को यह भी प्रतीत नहीं हुआ है कि वह जो हमारा यंत्र भस्मभूत हो गया है उसका हम एक अंकुर भी प्राप्त कर लें।  वह मौन हो जाते है।

आधुनिक काल के जो भौतिक विज्ञानवेत्ता हैं, वह समुद्र तट पर किसी किसी काल में अपनी सलाह करते हैं। कि समुद्र के आँगन में दक्षिणी भू में एक स्थली इस प्रकार की है कि वहां जैसे ही भौतिक वैज्ञानिकों का यंत्र गया वह यंत्र समाप्त हो जाता है।  आधुनिक काल के वैज्ञानिकों का ऐसा मत है कि पूर्व काल के वैज्ञानिकों की यहाँ कोई स्थली बनी हुई थी।  कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि अन्य लोकों की किरणे कुछ इस प्रकार की आती हैं जो यंत्रों को भस्मीभूत कर देती हैं। कुछ वैज्ञानिकों का मत है की समुद्र में एक अग्नि का भण्डार है जिसमें किसी काल में तरंगों का जन्म होता है।  विषैली तरंगों का जन्म हो करके वह यंत्र को  भस्मीभूत कर देता है।  आधुनिक काल के वैज्ञानिकों के सहस्रों यंत्र अग्नि के मुख में चले गए हैं।  और आधुनिक काल के वैज्ञानिकों को प्रतीत नहीं हो रहा है कि मेरा यंत्र कहाँ चला गया है? वह अग्नि के मुख में चला गया है या समुद्र की आतंरिक गति में चला गया है।  या उसके अवशेष उर्ध्वा में गति कर गए हैं।

महाभारत काल के घटोत्कच और बर्बरीक ने भगवान कृष्ण की सहायता से एक ऐसा यंत्र पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच स्थिर कर दिया था जो इतना शक्तिशाली है कि उसकी छाया समुद्र में एक स्थान पर जा रही है जो यान उस छाया के अन्तर्गत आ जाता है उसका एक अंकुर भी नहीं रहता।

लगभग सहस्रों यंत्र इस प्रकार के हैं जो इस अग्नि के मुख में चले गए हैं।  और आधुनिक वैज्ञानिकों को यह प्रतीत नहीं हो रहा कि वह मेरा यंत्र कहाँ चला गया? वह अग्नि के मुख में चला गया है या समुद्र की आतंरिक गति में चला गया है।  या उसके अवशेष उर्ध्वा में गति कर गए हैं। दक्षिण ध्रुव के आँगन में एक स्थली है जहाँ जाने पर यंत्र समाप्त जो जाते हैं।  मुझे तो ऐसा प्रतीत होता है कि द्वापर काल के कुछ वैज्ञानिकों की एक स्थली बनी हुयी है।  वहां एक यंत्र विद्यमान है। 

भगवान् कृष्ण का भीम घटोत्कच और भी जैसे महाराजा अर्जुन के पुत्र बब्रुवाहन हुए, अर्जुन हुए, और भी नाना वैज्ञानिक जैसे द्रोणाचार्य उनका विज्ञान बहुत ही विशाल रहा था। जब संग्राम होता था तो उन्होंने अपने यंत्रों को चन्द्रमा के कक्ष से भी ऊपरी भाग में त्याग दिया।  वे आज भी वहाँ भ्रमण कर रहे हैं।  यह कोई आश्चर्य नहीं।  यहाँ परम्परागतों से इसी प्रकार का विचार रहता रहा है।  यन्त्रालयों की परम्परागतों में भी प्रायः इसी प्रकार की धाराएँ रमण करती रही हैं।  यंत्रों के द्वारा संग्राम को दृष्टिपात करना उनको कहीं से कहीं स्थानांतरित करना यह सदैव ही हमारे यहाँ रहा है।  हमारे तो वैदिक साहित्य में इसकी मौलिकता प्राप्त होती रही है।  और हमारा जन्म सिद्ध अधिकार रहा है।  चन्द्रमा  से उपरले जो मंडल हैं, द्वापर काल के भीम और घटोत्कच के यंत्र अब तक वहां रमण कर रहे हैं।  उन्होंने इससे ऊँचे अप्रत्यक्ष लोकों पर यंत्र रमण कराया जिसको हमारे यहाँ ऋषि कृतकेतु यंत्र कहा जाता है जो सूर्य मंडल के कक्ष से ऊँचा भ्रमण कर रहा है।

भीम और उनके पुत्र घटोत्कच और एक ब्रहीनी नाम के वैज्ञानिक थे, जिनका यहाँ अनुसंधान होता रहता था।  भीम ने ऐसे यंत्रों का निर्माण किया था जो यंत्र वायुमंडल में भ्रमण करते रहते हैं।  आधुनिक काल में भी बहुत से यंत्र जो भीम ने अंतरिक्ष में त्याग दिए थे, वह भ्रमण कर रहे हैं।

भीम और घटोत्कच दोनों वैज्ञानिक अपनी विज्ञानशाला में विराजमान होते थे और यंत्रों का निर्माण करके वायुमंडल में त्याग देते थे।  चन्द्रमा के उपरले कक्ष के विभाग में वर्तमान के काल में आज भी वह यंत्र परिक्रमा कर रहे हैं।  चन्द्रमा के उपरले कक्ष में गति कर रहे हैं।  परिणाम क्या कि नाना प्रकार के प्राणत्व व मनस्तव को जानकर के यंत्रों का निर्माण कर देते थे।  उसमें इतनी प्राण शक्ति को परिणत कर देते थे कि यंत्र बना करके करोङो वर्षों का यान वैज्ञानिक निर्माणित कर देते थे।

इस स्थली (बरनावा) पर महाराजा भीम और घटोत्कच की विज्ञानशाला रही है।  इस विज्ञानशाला का जितना भाग था, वह नदी के प्रवाह में नष्ट हो गया।  यहां उनके विश्वविद्यालय में उनकी यंत्रशाला में नाना प्रकार का अनुसन्धान होता रहा।




सन्दर्भ ग्रन्थ : महाभारत एक दिव्य दृष्टि, वैदिक अनुसन्धान समिति, दिल्ली (रजि०)

आपका
ब्रह्मचारी अनुभव आर्यन

बुधवार, 1 मार्च 2017

सदुपदेश

तीन प्रकार की वाणियाँ होती हैं जो कि कुतर्क से खंडन करने योग्य नहीं हैं-

इडा                -    स्तुति, प्रशंसा करने वाली
मही               -    पठन पाठन की प्रेरणा देने वाली
सरस्वती        -    ज्ञान, विज्ञान प्रकट करने वाली

चार बुद्धियाँ होती हैं-

बुद्धि               -    साधारण तर्क वितर्क व निर्णयात्मक बुद्धि
मेधा               -    वैज्ञानिक बुद्धि
ऋतम्भरा       -    परमात्मा के अस्तित्व से सुगठित बुद्धि
प्रज्ञा               -    ऋषि मुनियों वाली बुद्धि जो कि आध्यात्मिकवाद व भौतिकवाद तथा सामाजिक ज्ञान सभी से तथा भूत, भविष्यत व वर्तमान के व्यवहारों से भी युक्त होती है।

दस प्राण होते हैं-

प्राण               -    श्वाँस लेना
अपान            -    श्वाँस छोड़ना तथा मलों को दूर करना आदि
व्यान             -    अन्नपानादि भीतर खेंचना, कंठस्थित
उदान             -    ह्रदयस्थित, मृत्यु समय जन्म जन्मांतरों के संस्कार इसी में प्रवेश कर जाते हैं।
समान           -    भोजन, वायु आदि का परिसंचरण
देवदत्त         -    उपपप्राण
धनंजय         -    उपपप्राण
कूम              -    उपपप्राण
कृकल          -    उपपप्राण
नाग             -    उपपप्राण

चार वेद होते हैं-

ऋग्वेद                         -    ज्ञानकांड                 -    अग्नि ऋषि द्वारा
यजुर्वेद                        -    कर्मकांड                  -    वायु ऋषि द्वारा
सामवेद                       -    उपासना कांड           -    आदित्य ऋषि द्वारा
अथर्ववेद                     -    विज्ञान कांड             -    अंगिरा ऋषि द्वारा

आठ चक्र होते हैं-
  चक्र                                            स्थान
मूलाधार चक्र                          -    उपस्थ के निकट
नाभि चक्र                               -    नाभि
ह्रदय चक्र                                -    ह्रदय
कंठ चक्र                                 -    कंठ
नासिका चक्र                          -    नासिका
आज्ञा चक्र                              -    मस्तक
सहस्रार चक्र                           -    ब्रह्मरंध्र के नीचे
पुष्प चक्र                               -    रीढ़ की हड्डी में

नव द्वार होते हैं-

   द्वार                                    द्वारों के ऋषि

दो चक्षु                                 -    जमदग्नि, विश्वामित्र
दो नासिका रंध्र                     -    अश्विनी कुमार
दो श्रोत्र                                 -    वशिष्ठ, भारद्वाज
एक मुख                              -    अत्रि
उपस्थ                                 -    ब्रह्मा
पायु                                    -    विष्णु

प्रकृति में तीन गुण होते हैं-

सत्व                                 - ज्ञान प्रेम व आनंद
रज                                   - अनुशासन तथा उत्पत्ति विनाश
तम                                  - अज्ञान

पाँच तत्व होते हैं-

अग्नि                              -    दाह, तेज या प्रकाश
जल                                 -    तरलता व शीतलता
वायु                                 -    वेग व स्पर्श
पृथ्वी                               -    गंध व गुरुत्व
आकाश                            -    स्थान व शब्द



आपका
ब्रह्मचारी अनुभव आर्यन
free counters

फ़ॉलोअर